आगे कुआं पीछे खाई ( हास्य व्यंग )
"आगे कुआं पीछे खाई " यह एक ऐसी कहावत है जिसका मतलब होता है दोनों ओर से विपत्ति में फंसना। कभी-कभी व्यक्ति समस्याओं के भंवर में ऐसा फंस जाता है जहां पर से निकलने का रास्ता उस वक्त उसे समझ तो नही आता लेकिन यदि वह उस मुसीबत से निकलने का रास्ता ढूंढे़ं तो कोई ना कोई रास्ता वह खोज ही लेता है जैसे मैंने उस दिन खोजा था।
अपनी तरफ आश्चर्य से देखती हुई गगन की दो फैली ऑंखों को देखकर रूपेश ने अपनी आपबीती उसको सुनाई जो इस प्रकार थी।
वैसे तो रूपेश को किसी ज्ञानी पुरुष ने कहा था कि भाई! यदि तुम्हें अपने वैवाहिक जीवन को सुकून पूर्वक व्यतीत करना है तो अपनी माॅं - बहनों और पत्नी के झगड़ों से अपने आप को दूर रखना होगा और जब सामने आ भी जाए तो उन सबकी बात में हां में हां मिलानी होगी।
अभी तक तो रुपेश ज्ञानी पुरुष के कहेनुसार अपने आप को बचाते हुए आ रहा था और सब कुछ अच्छा भी चल रहा था क्योंकि जब वह अपनी मां और बहनों के साथ होता तो उनकी बातों में हां में हां मिलाता और जब अपनी पत्नी के पास होता तो उसकी बात में वह उसके साथ हो जाता। कुल मिलाकर घर का माहौल शांत था और सबको यही लग रहा था कि रुपेश सिर्फ उन लोगों के साथ ही हैं।
शाम के समय ऑफिस से निकलते हुए रुपेश ने यह सोचा नहीं था कि घर पहुंचते ही एक साथ सभी मुसीबत उसके इर्द-गिर्द होगी और उससे चाय - नाश्ता पूछने के बजाय ये पूछ रही होगी कि हम में से कौन सही है?
अपनी माॅं - बहनों और पत्नी के बीच में खड़े रुपेश को उस समय "आगे कुआं पीछे खाई" नजर आ रहा था क्योंकि यदि वह अपनी माॅं और बहनों का साथ देता तो पत्नी उससे रूठ जाती, जो वह चाहता नही था क्योंकि बेचारे की शादी को अभी एक महीना भी कहां बीता था। अपनी नई नवेली दुल्हन को वह नाराज़ नही करना चाहता था तभी तो उसने बीच का रास्ता इख्तियार कर रखा था ताकि उसकी दुल्हन का मन भी रह जाए और घरवाले भी खुश रहे। रूपेश ये भी सोच रहा था कि यदि वह पत्नी मोह में पत्नी को सही बोलता है तो जोरू का गुलाम का ठप्पा आजीवन उसके माथे पर लग जाएगा। करे तो क्या करें वह ? बेचारा रूपेश इसी उलझन में पड़ा अपने माथे पर बल देकर सोचे ही जा रहा था कि तभी उसकी जेब में पड़ा हुआ फोन बजने लगा।
सभी को यही लग रहा था कि सचमुच में फोन आया है लेकिन सच्चाई यह थी कि अपने दोनों जेब में दो फोन रखने वाले रुपेश ने अपने पहले बटन वाले फोन से ही अपने दूसरे स्मार्टफोन पर सबसे छुपाकर पैंट की जेब में हाथ रखा और बटन दबा दिया था जिसके कारण दूसरा फोन बजने लगा था।
अपने फोन को अपनी जेब से निकालकर रूपेश ने देखा। मैं एक मिनट में आता हूॅं ये कहकर वह घर के बाहर वाले कमरे की तरफ चला गया। करीब दो मिनट बाद जब वह हॉल में आया तो सभी चुपचाप उसी अवस्था में खड़े थे जैसे वह दो मिनट पहले उन सभी छोड़ कर गया था।
"ऑफिस से फोन आया था, मुझे दो दिनों के लिए ऑफिस के काम से दिल्ली जाना पड़ेगा जिसके लिए मुझे अभी आधे घंटे में निकलना है इसलिए प्रियंका मेरा सूटकेस रेडी कर दो, मैं जल्दी से नहा - धोकर कुछ नाश्ता कर निकलूंगा।"
अपनी पत्नी की तरफ देखते हुए रूपेश ने कहा और अपने बेडरूम के भीतर चला गया। रुपेश के जाते ही उसकी मां - बहने भी अपने - अपने कमरे में चली गई और उसकी पत्नी प्रियंका भी उसके जाने के लिए सूटकेस तैयार करने लगी।
उस वक्त आधे घंटे के भीतर अपना सूटकेस लेकर घर से बाहर निकलते हुए रूपेश यह सोच रहा था कि कम से कम अभी तो जान बची। गगन के पास पहुंचकर शांति से इस बारे में कोई न कोई हल तो अब ढूंढ़ना ही पड़ेगा, नहीं तो घर पहुंचने के बाद "आगे कुआं पीछे खाई वाली कहावत" हर दिन मुझ पर ही चरितार्थ होगी।
रुपेश अपने घर से निकल कर अपने दोस्त गगन के पास आ गया था जो ऑफिस के क्वार्टर में अकेला रहता था। और वहीं पर इन दोनों की बातें हो रही थी जिसमें "आगे कुआं पीछे खाई" वाली कहावत रुपेश अपने आप पर कह रहा था।
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धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻
गुॅंजन कमल 💗💞💗
# मुहावरों की दुनिया प्रतियोगिता
अदिति झा
07-Feb-2023 11:48 PM
Nice 👌
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पृथ्वी सिंह बेनीवाल
07-Feb-2023 08:21 PM
👏👍🏼
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